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परिवार का आर्थिक मैट्रिक्स बनाएं महिलाएं

महिलाएं बचत तो आदतन कर लेती है। धैर्य, अनुशासन, पारिवारिक सुरक्षा और सिस्टेमेटिक एनालिसिस के गुण महिलाएं में होते है और आर्थिक समृद्धि स्थिरता के लिए ये गुण महत्वपूर्ण है। आज भी वित्तीय मामलों में महिलाओं की भागीदारी परिवार में उतनी नहीं है क्योंकि महिलाओं में वित्तीय साक्षरता की कमी है। सही मायनों में महिला सशक्तिकरण तभी होगा जब वित्तीय क्षेत्रों में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। महिलाओं का बचत करने का अंदाज़ ज़रा अलग होता है। किचन में बिछे पेपर के नीचे, अनाज के डिब्बों, अलमारी में रखी साड़ियों की तहों में समस्याओं के समाधान रखती है। प्रायः देखने में आया है की म्यूचुअल फंड, मेडिक्लेम, जीवन बिमा आदि योजनाओं से वे वाकिफ नहीं रहती और वित्तीय साक्षरता की कमी होने के कारण हमेशा पुरुष सदस्यों पर ही आश्रित रहती हैं। महिलाएं सुनिश्चित करें कि अपनों बच्चों के खाते में प्रत्येक माह कुछ राशि अवश्य जमा करें एवं बच्चों में लघु बचत की आदत विकसित करें। वित्तीय सशक्तिकरण के लिए परिवार का फाइनेंसियल मैट्रिक्स तैयार करना चाहिए। इसमें हसबैंड, वाइफ और बच्चों का सेविंग बैंक अकाउंट, एफडीआर, शेयर डिबेंचर, म्यूचुअल फंड, लाइफ इन्शुरन्स और मेडिक्लेम का डेटाबेस बनाएं। प्रत्येक कॉलम में समयाविधि, मैच्योरिटी अकाउंट दर्ज़ कर समय - समय पर अपडेट करते रहे। पांचवें वर्ष से ही बच्चे का खाता खोलकर लघु बचत कीजिए।

महीने में एक बार बैंक स्वयं जाकर अधिकारियों से मिलें और स्वयं पैसे जमा करने निकालने चाहिए। विभिन्न वित्तीय योजनाओं की जानकारी लेकर डायरी में फॅमिली बैंकर के रूप में निकटतम बैंक के मैनेजर का नंबर दर्ज करना चाहिए। प्रधानमंत्री जन धन योजना, अटल पेंशन योजना, भारतीय जीवन बीमा योजना निगम द्वारा कई सूक्ष्म बैंक अकाउंट एवं लघु बिमा योजनाओं में बहुत कम पैसों में लाभ प्राप्त किया जा सकता है। सही मायने में महिला सशक्तिकरण तभी होगा जब वित्तीय क्षेत्रों में महिलाएं निर्णायक भूमिका निभाने लगेंगी।